इंदौर /श्री पित्रेश्वर हनुमान धाम के 19 दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बहेगी धर्म अध्यात्म और ज्ञान की त्रिवेणी इंदौर में लगेगा संतों के सानिध्य में विश्व को आध्यात्मिक चेतना का संदेश देगा श्री पित्रेश्वर हनुमान धाम भव्य कलश यात्रा में शामिल होगी 1 लाख महिलाएं।
श्री पित्रेश्वर हनुमान धाम पर विराजित हनुमान जी के दिव्य और विराट प्रतिमा ना सिर्फ इंदौर बल्कि पूरे विश्व में धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का संदेश देगी।
श्री पित्रेश्वर हनुमान धाम का 19 दिवसीय सिद्धि प्राण प्रतिष्ठा समारोह शुक्रवार 14 फरवरी से शुरू होकर 3 मार्च तक चलेगा, परम पूज्य महामंडलेश्वर साध्वी कनकेश्वरी देवी, श्री श्री विद्या धाम के परम पूज्य संत महामंडलेश्वर, श्री चिन्मयानंद सरस्वती महाराज, परम पूज्य संत श्री उत्तम स्वामी जी के मार्गदर्शन में होने वाले इस समारोह में देश-विदेश के कई साधु संत और महात्मा उपस्थित रहेंगे यह जानकारी श्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक पत्रकार वार्ता में दी।
श्री विजयवर्गीय ने बताया कि हनुमानजी साधु-संतों और पितरों के आशीर्वाद से अष्टधातु से निर्मित इस दिव्य और विराट प्रतिमा की स्थापना का संकल्प पूर्ण हो सका है प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तहत 14 फरवरी से आचार्य श्री राहुल कृष्ण जी शास्त्री श्री पित्रेश्वर धाम पर भागवत कथा का आयोजन 22 फरवरी तक चलेगा।
24 फरवरी को श्री श्री विद्या धाम से श्री पिथरासर धाम तक भव्य शोभायात्रा निकलेगी इसमें 1 लाख महिलाएं पारंपरिक वस्त्र धारण कर सर पर कलश लेकर चलेंगी, समारोह के तहत परम पूज्य साध्वी कनकेश्वरी देवी 24 फरवरी से शिव पुराण कथा तथा ब्राह्मण श्री श्री उत्तम स्वामी जी महाराज श्री राम कथा का वाचन करेंगे, इसके साथ महामंडलेश्वर श्री चिन्मयानंद जी सरस्वती महाराज के सानिध्य में दो दिवसीय अति रुद्र महायज्ञ का आयोजन भी होगा।
श्री विजयवर्गीय ने कहा कि समारोह के तहत पित्रेश्वर धाम पर प्रतिदिन सुबह से शाम तक सुंदरकांड के पाठ का सिलसिला शुरू हो गया है ,19 दिनों में रामायण मंडल और श्रद्धालुओं द्वारा सुंदरकांड के पाठ किए जाएंगे ,संभवत यह पहला अवसर है जब साथ ही एक स्थान पर इतने दिव्य आयोजन होंगे ।
समारोह की पूर्णाहुति 3 मार्च को नगर भोज के साथ होगी आपने कहा कि पित्र पर्वत से इंदौर के हजारों लोगों की आत्मीयता और आस्था पहले से जुड़ी हुई है यहां शहर के लोगों ने पौधों के रूप में अपने पूर्वजों की स्मृति को सजाया है इसलिए यह तीर्थ एक धाम की तरह हो गया । जहां श्रद्धालुओं को परमेश्वर प्रकृति और पित्र देवता तीनों का आशीष मिल सकेगा। जहां की चेतना पूरे विश्व को आलोकित करेगी।