मध्यप्रदेश में महापौर और अध्यक्षों का चयन पार्षद द्वारा ही होगा







जबलपुर / मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पार्षदों को के जरिए महापौर एवं अध्यक्षों का निर्वाचन संबंधी किए गए संशोधन को स्वीकार करते हुए मामले को लेकर दायर याचिका बुधवार को खारिज कर दी, अब मध्यप्रदेश में महापौर एवं अध्यक्षों का चयन पार्षद ही करेंगे।
        काफी समय से महापौर  चयन को लेकर राज्य सरकार पर कई तरह के आरोप प्रत्यारोप भाजपा के द्वारा लगाए जा रहे थे। जिसमें कहा जा रहा था की कमलनाथ सरकार जनता से महापौर का चुनाव कराने से डर गई है। वह सीधे जनता से चुनाव कराने के बजाय पार्षदों के जरिए महापोर एवं अध्यक्षों का चुनाव कराने जा रही है। इसको लेकर मध्य प्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट में अनवर हुसैन ने एक याचिका दायर कर राज्य शासन के निर्णय को चुनौती दी थी। जिसे मध्य प्रदेश जबलपुर खंडपीठ ने उनकी याचिका खारिज कर राज्य शासन के निर्णय को उचित बताया।
 कमलनाथ सरकार द्वारा मध्य प्रदेश नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश 2019 को सर्वसम्मति से पास कराया गया था । जिसे राजपाल ने भी आर्टिकल 213 की धारा 1 के तहत मंजूरी दी थी। इस मुहर के बाद मध्य प्रदेश म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1956 एवं मध्य प्रदेश म्युनिसिपालिटीज़ एक्ट 1961 में संशोधन किया गया था। आपको बता दें कि 1997 के पूर्व भी नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष का चयन अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही किया जाता था।


तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार में इस एक्ट में संशोधन करके महापौर का चयन प्रत्यक्ष तरीके से कराने का फैसला लिया गया था जिसे सरकार ने फिर से बदला है।






 


 

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